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Friday, October 30, 2015

हरपल  मुस्कराने  वाली
कभी  न  घबराने  वाली
दिखती नही चिंता कभी
रहे  सदा चेहरे पर लाली

था   अनजान   उससे  मैं
न  जाने कहाँ से वो आयी
नही था नाता कोई पुराना
पर दिलों दिमाग पर  छाई
भर  दिया  मन खुशियों से
जो था कब से  मेरा खाली
दिखता नही ..................

लिये  सात  फेरे  संग  मेरे
सब कुछ संग मिला लिया
जो थी चाहते,सपने अपने
सबको  उसने  भुला दिया
नही  छोड़ा सूखापन कहीं
कर दी चहुंओर  हरियाली
दिखती नही ................

सजती  है  वो  मेरे  लिये  ही
माँग  में सिंदूर भी सजाती है
नही  थकती   कभी  भी  वो
कुछ न कुछ करती  जाती है
खिलाती है भरपेट  सभी को
चाहेखाली रहे खुद की थाली
दिखती नही ...................

कैसे  बना  ये रिश्ता हमारा
कैसे ये हमारी हुई  पहचान
अनजाने  पंछी  दो ये ,कैसे
बन गये एक दूजे  की जान
चहुंओर   जीवन में प्रकाश
संजू बीत गयी  रात  काली
दिखती  नही  चिंता   कहीं
रहे  सदा  चेहरे   पर  लाली

हरपल  मुस्कराने  वाली
कभी  न  घबराने  वाली
दिखती  नही चिंता कहीं
रहे सदा चेहरे पर  लाली

Saturday, October 17, 2015

आने लगी है इक जानी पहचानी
खूशबू  अपने  गाँव  की  और से
            चल रहा है  पता  इस  बात  का
            हिलोरें खाती हुई हवा के शोर से
उमड़ने लगा है भूचाल  अंजाना
हर कोने में दिल के  चहुंओर  से
             मानो आ रहा है  याद  हमें  मेरा 
             गाँव और मेरा घर  बड़े जोर  से
होगी  खुशीहाली अब कुछ दिन
घर से   दूर  हो  चुके  थे  बोर से
             आज तो लग रहा है दिन  लम्बा
             शाम  का  इंतजार जो है भोर से
चल पड़ अब तू जल्दी सी गाड़ी
पहुँचा उस छोर तक इस छोर से
              कुछ ही दिन  की है  ये  खुशियाँ
              याद रखना संजू इसे बड़े गौर से

Tuesday, October 13, 2015

बनाना पड़ा साथी कागज कलम को
दुनियाँ में साथ मिलता है कहीं  कहीं

विश्वास  है  मुझे  इन   बेजुबानों  पर
देंगे   मुझे  धोखा  ये  कभी  भी  नही

नही  करते  ये तारीफ कभी भी झूठी
दिखाते  रहते  है हमें आईना ये  सही

लोग  है  इस दुनियाँ  के ये  बड़े  झूठे
कर देते झूठा  साबित हर खाता बही

करते  है  शैतानी  इतनी दिन  भर  ये
फैला  देते  रायता  ये बिखेर कर दही

टूटने लगे रिश्ते  नाते  दुनियादारी  के
वफादारी  की तो  उम्मीद भी ना रही

संजू "काट  ले तन्हाई तेरी संग कलम
बेजुवां  हो चाहे पर साथी है सच यहीं

एक रचना वरिष्ठ नागरिकों को समर्पित ........

साथ  छोड़ने  लगी  टहनियाँ
निकलने वाले है अब   प्राण
दूसरो  के  लिये  रहा  तैयार
रखूंगा  मरते दम तक  ध्यान

बाल रूपी पत्ते भी अब तो
एक  एक  कर  झड़ने लगे
बीमारियों  रूपी कीट अब
हजारों  ऊपर  चढ़ने   लगे
सुनने   लगा  है  कम  मुझे
सिकुड़ने लगे  है मेरे  कान
साथ छोड़ने ...............

हड्डियों  रूपी तना मेरा  ये
धीरे धीरे  सिकुड़ने लगा है
लताओं रूपी साथ सबका
धीरे धीरे ये  बिछुड़ने लगा
नही रुकेंगे रोकने से  अब
ये  जो रखते थे मेरा  मान
साथ छोड़ने .................

औलादों  रूपी  जडे  मेरी
न जाने कब  उखड़  जाये
जीवन रूपी खेल  मेरा  ये
न जानेे  कब  बिगड़ जाये
कट  चुकी  है  मिट्टी  सारी
पानी ने जड़ों को दिया छान
साथ छोड़ने ................

न रखना ध्यान  मेरा  चाहे
मिटने देना मेरी अब हस्ती
न देना चाहे सहारा "संजू "
डूबने देना मेरी  ये  कश्ती
पर फूटने देना अंकुर  मेरे
जो  बनेगी  मेरी   पहचान
साथ छोड़ने लगी टहनियाँ
निकलने वाले है अब प्राण
दूसरों के लिये  रहा  तैयार
रखूंगा मरते दम तक ध्यान

पहले  तोड़ी  साइकिल  हमने
फ़िर  आई  पहिये  की   बारी
रिम को लगाया छत पर और
पहिये  से  गलिया छान मारी

गाड़ी थी सबकी अपनी
सबका था अलग पहिया
लगता था ऐसे हम सबको
छान मारेंगे ये सारी दुनियाँ

न जाने  फट जाती शर्ट
न जाने कब फटती निक्कर
बन जाते बंदर हम सब
नही छोड़ते  पीपल कीकर

देख लिये नहा नहाकर
नदी नाले और तालाब सारे
उछलते -कूदते थे ऐसे हम
मानो छू लेंगे आसमां के तारे

हो जाते बेजुवां हम
जब आती स्कूल जाने की बारी
न बोले स्कूल जाने को कोई
चाहे चला दे हम पर आरी

अब जब वो दिन याद आते
आँखो में आँसु भर जाते
काश रबड़ का टायर लेकर "संजू "
फटी कच्छी वाले दोस्त फ़िर बुलाते

जिस देश का दिल है दिल्ली
और कश्मीर जिसका ताज है
जिसमे हो पाँच नदियों का पंजाब
उस भारतवर्ष पर हमें नाज़ हैं

हरा भरा हरियाणा जिसमे ,
राजवाडे राजस्थान के
मध्यप्रदेश सी शांति जिसमे
भंडार कर्नाटक में  खान के
बरसते मेघा मेघालय में और
उत्तर प्रदेश में भरपूर अनाज है
जिसमे हो पाँच ................

तिरुपति हैआंध्र में और
केरला में हरियाली है
उडिसा में जगन्नाथ बसे
बंगाल में माँ काली है
उतराखंड देवभूमि है तो
हिमाचल में हिम का ताज है
जिसमे हो पाँच .................

झारखंड और छतीसगढ़ तो
लाखों गुणों की खान है
गुजरात गाँधी, पटेल तो
बिहार बोध धर्म का स्थान हैं
असम,त्रिपुरा की बात निराली
नागालैंड शिक्षा का सरताज है
जिसमे हो पाँच .....................

तेलंगाना अभी बच्चा है
और गोवा सबसे छोटा है
श्रीलंका का गला तो अकेले
तमिलनाडु के मछुआरों ने घोटा है
करता स्वागत सूर्य देवता का वो
अरुणाचल सूर्य की पहली आवाज़ हैं
जिसमे हो पाँच ............

सिक्किम ओर मिजोरम तो
पहाड़ो की गोद में बसे हैं
मुगलों के नट बोल्ट तो
महाराष्ट्र के मराठों ने ही कसे हैं
शब्दों को बिना लय ताल जोड़ना
संजू किरमारा का अंदाज़ हैं
जिसमें हो पाँच नदियों का पंजाब
उस भारतवर्ष पर हमें नाज़ हैं

जिस देश का दिल है दिल्ली
और कश्मीर जिसका ताज है
जिसमे हो पाँच नदियों का पंजाब
उस भारतवर्ष पर हमें नाज़ हैं

जब तक पैदा करता हूँ अनाज
हर कोई करता मुझ  पर  नाज़
मेरे ही कारण करता था हमारा
ये  भारतवर्ष दुनियाँ  पर  राज़

पर नही  बरसते  ये बदरा अब
न जाने कितना सताएगा ये रब
सूखा ही  सूखा चहुंओर है,जाने
दिखेगा  पानी  इन खेतों में कब

ताल नदियाँ सब सूखने लगी हैं
ये साँस भी  अब रुकने लगी हैं
रहती  थी  गर्व से  ऊपर  गर्दन
वो शर्म हय से अब झुकने लगी

साहूकारों   का  सताया हुआ हूँ
दीमको  का  मैं खाया  हुआ  हूँ
चमक  नही रहती इस चेहरे पर
सूखी  आँधी से  नहाया हुआ हूँ

खाद   बीज  अब  मिलते  नही
फूल  खेतों में वो  खिलते  नही
कहाँ गये वो कोयल मोर पपीहे
साथी  मेरे  वो अब दिखते नही

थक चुका  हूँ  काम  कर करके
अपनी हार  अब  मैं मान  लूँगा
लगा  दो  "संजू"  सहारा  थोड़ा 
वर्ना लटककर पेड़ पर जान दूँगा