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Saturday, October 17, 2015

आने लगी है इक जानी पहचानी
खूशबू  अपने  गाँव  की  और से
            चल रहा है  पता  इस  बात  का
            हिलोरें खाती हुई हवा के शोर से
उमड़ने लगा है भूचाल  अंजाना
हर कोने में दिल के  चहुंओर  से
             मानो आ रहा है  याद  हमें  मेरा 
             गाँव और मेरा घर  बड़े जोर  से
होगी  खुशीहाली अब कुछ दिन
घर से   दूर  हो  चुके  थे  बोर से
             आज तो लग रहा है दिन  लम्बा
             शाम  का  इंतजार जो है भोर से
चल पड़ अब तू जल्दी सी गाड़ी
पहुँचा उस छोर तक इस छोर से
              कुछ ही दिन  की है  ये  खुशियाँ
              याद रखना संजू इसे बड़े गौर से

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