Popular Posts
-
लेडी फिंगर एक अध्यापक के मन में एक दिन हरी सब्जी खाने का ख्याल आया तो उसने कक्षा में से एक कमजोर से बच्चे को बुलाया हुआ कुछ यूँ अध्य...
-
चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
-
1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
-
अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
-
हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
-
याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
-
वो सात दिन किसी कोने में है मेथ मेजिक तो किसी कोने में है लुकिंग अराउंड क्या उत्सव है आवडी में आज हर कोने से आ रहा है अजीब साउंड कुछ को...
-
हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
About
Random Posts
Labels
News
Design
Pages
About Me
Popular Posts
-
लेडी फिंगर एक अध्यापक के मन में एक दिन हरी सब्जी खाने का ख्याल आया तो उसने कक्षा में से एक कमजोर से बच्चे को बुलाया हुआ कुछ यूँ अध्य...
-
चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
-
1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
-
अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
-
हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
-
याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
-
वो सात दिन किसी कोने में है मेथ मेजिक तो किसी कोने में है लुकिंग अराउंड क्या उत्सव है आवडी में आज हर कोने से आ रहा है अजीब साउंड कुछ को...
-
हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
टेंशन छोड़ो और जिंदगी के सबसे बड़े परिवर्तन का मजा लो
दोस्तों इस फैँसले से फायदा होगा या नुकसान ये तो भविष्य के गर्भ में है । लेकिन मैं इसे स्वीकार करता हूँ और इसका स्वागत करता हूँ ।हमें नोटबंदी से कोई समस्या नही । आज लाइन में लगे तो पाँच छह घंटे नम्बर नही आया तो बिल्कुल भी दुःख नही हुआ । क्योंकि ये मेरे लिये कोई नई चीज़ नही है ,हम भारतीयों का तो जन्म ही लाइन में लगने के लिये होता है ।
सबसे पहले जब बचपन के दिनो को याद करता हूँ तो याद आता है कि सस्ते राशन के लिये भी लाइन में लगता था ।
उसके बाद हॉस्पिटल याद आता है जहाँ बीमार लोग भी चार पाँच घंटे आराम से लाइन में गुजार लेते है
फ़िर याद आता है सहकारी समिति का वो दृश्य जहाँ एक हरा थका किसान भी पाँच छह घंटे खाद बीज के लिये गुजारता रहा है जबकि अनेकों बार तो उसका नम्बर आने से पहले ही स्टाक ख़त्म हो जाता है ।
फ़िर याद आते है पढाई के वो दिन जब साला एक भी सर्टिफिकेट तीन चार घंटे लाइन में लगे बिना नही बना चाहे वो जन्म प्रमाण पत्र हो या रिहायशी प्रमाण पत्र । तब तो हमें कभी भी कुछ गलत नही लगा ।
फ़िर याद करता हूँ जॉब के लिये दिये गये साक्षात्कार - ऐसा शायद ही कोई इंटरव्यू हुआ होगा जिसमे पाँच छह घंटे से पहले नम्बर आया हो ,इसलिये मुझे कुछ भी नया नही लगा ।
फ़िर आते है याद वो सारे धार्मिक सफर जो जिंदगी में कुछ अच्छा पाने के लिये किये थे चाहे वो शिरडी हो , तिरुपति हो या वैष्णो देवी कभी भी पाँच सात घंटे की लाइन बिना नम्बर नही आया तो आज मैं उदास क्यों ?
रेलवे टिकट के लिये भी घंटा दो घंटा खड़ा होना पड़ जाता है तो इस लाइन में नया क्या है ?
और अब याद करता हूँ ताजा हादसा जो jio सिम के लिये हुआ घंटों लाइन में लगते थे और कई बार तो अपना नम्बर आने से पहले ही सिम ख़त्म ?
जब हम बचपन से ही लाइन में लगते आये है तो इतना हंगामा क्यों ? दोस्तो हमें घबराने की कोई ज़रूरत नही है हमारा तो जन्म ही ऐसी मातृभूमि पर हुआ जहाँ बड़ी से बड़ी मुसीबतों को लोग हँसते हँसते सह लेते है तो ये तो समस्या ही क्या है ? इस समस्या को त्योहार की तरह मनाये और आनँद ले ।
सहमत है ?
किसी को ठेस पहुँची हो तो अग्रिम क्षमा
संजय किरमारा "उज्ज्वल "