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Friday, October 20, 2017

आज फ़िर आ जाओ भ्रमरो
इन अधखिले फूलों पर
मधुर आवाज़ से गुंजा दो
इस शांत से उपवन को

जब से तुम गये हो
सब कुछ वीरां हो गया है
रहता था जो हर्षौल्लास
न जाने कहाँ खो गया है

खामोश पड़े है फूल कलियाँ
तुम बिन अब ये  नही महकते है
तुम्हारी गूँजन से थी सब हलचल
अब तो पक्षी भी नही चहकते है

इस उपवन का सन्नाटा
तुम्हे ही हरपल पुकारता है
करके धरती को गरमी से लाल
सूरज गुस्सा अपना उतारता है

रहता सब कुछ शांत यहाँ
अब तो बच्चे भी नही आते है
करते थे कलरव सदा जो
पक्षी भी नही कुछ गाते है

लौट आओ , लौट आओ तुम अब
शायद फ़िर यहाँ बहार आ जाये
उड़ रही है धूल यहाँ सूखी
शायद कोई मधुर बौछार आ जाये

आ जाओ शायद ये कलियाँ
देख तुम्हे फ़िर खिल जाये
बिछड़ गया जो साथ किसी का
शायद यहाँ उसे मिल जाये

सुन लो ओ भ्रमरो तुम
तुम वापिस आ जाओ ना
आये  मुस्कान चेहरे पे सबके
कुछ ऐसा तुम गुनगनाओ ना

Tuesday, June 13, 2017
Monday, March 13, 2017

उस पल का इंतजार है

आजकल जो कुछ चल रहा है उसमे देखने में आता है कि आप किसी को कंकड़ मारो तो बदले में आपको सौ प्रतिशत प्रतुत्तर में पत्थर मिलता है ,इसी प्रकार  किसी को गाली दो तो उससे भी बुरी गाली आपको सुननी पड़ती है या फ़िर किसी की थोड़ी सी बुराई करके देखो । तो उसके बदले आपकी बुराइयों का ढेर न लग जाये तो कहना ।
मतलब ये हुआ कि आप जो दूसरों को देते है ,दुनियाँ आपको सूद समेत वापिस करती है ।

मगर इसका एक दूसरा पहलू भी है । जब आप किसी में विश्वास करते हो तो ज़रूरी नही कि आपको वापिस विश्वास ही मिलेगा , यहाँ आपको धोखा भी मिल सकता है । आप किसी से अच्छा व्यवहार करो तो ज़रूरी नही कि सामने वाला भी आपसे अच्छा व्यवहार करे ।

इस तरह कि पारिस्थिति मनुष्य को तोड़ देती है । इसलिये मुझे इस समय के बदलने का इंतजार है जब हमें प्यार के बदले प्यार मिले और सच्चाई के बदले सच्चाई