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Wednesday, April 13, 2016

1.

पानी  सा   निर्मल है वो
और   पर्वत  सा कठोर
करता  सारा दिन काम
नही  करता   कोई शोर

खुद  के सपने छोड़कर
धूप  आँधी में  दौड़कर
हमे  सफल  बनाने  वो
लगा   है  जी  तोड़कर
लगा  रहता हमारे लिये
दिखता नही कभी बोर
पानी सा .................

सुख सभी वो त्यागकर
दिन रात भाग भागकर
सुलाता   है चैन से हमें
रात   अँधेरी   जागकर
सही   आये  नींद   हमें
ध्यान  रखें वो चहुंओर
पानी सा .................

टूट गया हमें पढाने को
रुकगया हमें बढ़ाने को
बन गया खुद सीढी वो
हमे मंज़िल चढ़ाने  को
थी नही  हिम्मत उसमे
पर   लगाया सदा जोर
पानी सा .................

सादगी  से उसके काम
नही  लिया कोई इनाम
कर  देना "उज्ज्वल तू
उसका ऊँचा अब नाम
भटका  सदा  तेरे लिये
न ठिकाना न कोई ठौर
पानी सा .................

पानी   सा निर्मल है वो
और  पर्वत  सा  कठोर
करता  सारा दिन काम
नही   करता  कोई शोर


2
कर्म भूमि पर सदा खुद को तपाया
कर    करके त्याग  मजबूत बनाया
निभाई   जिम्मेदारियां उसने इतनी
आंसू  कभी कोई आँख में न आया

3.

किसी भी कामयाबी के लिये यदि भगवान के बाद किसी की ज़रूरत होती है तो वो है पिता का हाथ, जो कंधे पर टिका हुआ हरपल कहता है बेटा डर मत,बस आगे बढ़ ! मैं साथ हूँ तेरे तेरी मुश्किलो को हटाने के लिये !

4.

देखते है लोग  माँ  की  ममता   इस दुनियाँ में सदा ही
पर पिता की कोमलता जिम्मेदारियों तले दब जाती है
लोग देख लेते है सब कुछ  दूरबीनों में झाँक झाँककर
पता नही   क्यों पिता  की कुर्बानी  नज़र नही आती है

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