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चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
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1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
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लेडी फिंगर एक अध्यापक के मन में एक दिन हरी सब्जी खाने का ख्याल आया तो उसने कक्षा में से एक कमजोर से बच्चे को बुलाया हुआ कुछ यूँ अध्य...
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हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
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याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
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अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
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हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
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उस पल का इंतजार है आजकल जो कुछ चल रहा है उसमे देखने में आता है कि आप किसी को कंकड़ मारो तो बदले में आपको सौ प्रतिशत प्रतुत्तर में पत्थर मिल...
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उस पल का इंतजार है आजकल जो कुछ चल रहा है उसमे देखने में आता है कि आप किसी को कंकड़ मारो तो बदले में आपको सौ प्रतिशत प्रतुत्तर में पत्थर मिल...
Tuesday, October 13, 2015
जब तक पैदा करता हूँ अनाज
हर कोई करता मुझ पर नाज़
मेरे ही कारण करता था हमारा
ये भारतवर्ष दुनियाँ पर राज़
पर नही बरसते ये बदरा अब
न जाने कितना सताएगा ये रब
सूखा ही सूखा चहुंओर है,जाने
दिखेगा पानी इन खेतों में कब
ताल नदियाँ सब सूखने लगी हैं
ये साँस भी अब रुकने लगी हैं
रहती थी गर्व से ऊपर गर्दन
वो शर्म हय से अब झुकने लगी
साहूकारों का सताया हुआ हूँ
दीमको का मैं खाया हुआ हूँ
चमक नही रहती इस चेहरे पर
सूखी आँधी से नहाया हुआ हूँ
खाद बीज अब मिलते नही
फूल खेतों में वो खिलते नही
कहाँ गये वो कोयल मोर पपीहे
साथी मेरे वो अब दिखते नही
थक चुका हूँ काम कर करके
अपनी हार अब मैं मान लूँगा
लगा दो "संजू" सहारा थोड़ा
वर्ना लटककर पेड़ पर जान दूँगा
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