Popular Posts

About

Random Posts

Labels

News

Design

Pages

Powered by Blogger.

Popular Posts

Saturday, September 24, 2016

रंग बिरंगे नोट

नज़र पड़ती है जब भी
बाजार में चल रहे
रंग बिरंगे नोटो पर
या फ़िर नज़र पड़ती है
अलग अलग सिक्कों पर

तब मन में
सिर्फ एक सवाल उठता है
कि कैसा रुप है
या कैसा रंग है
इस बाजार का
जो हर पल एक अलग रंग
या अलग चेहरे के साथ
नज़र आता है

या फ़िर उठता है सवाल मन में
मनुष्यों की जरूरतें बिकती हैं
न जाने कितने चेहरों से
या फ़िर बिक जाते हैं भगवान खुद
या हमारे महापुरुष बिक जाते हैं
किसी न किसी नोट या
सिक्के पर छपकर
सिर्फ मनुष्य की ज़रूरत पूरा करने

पर अंत में दिखते हैं जब
धुंधले पड़े नोटो पर
महापुरुषों के चेहरे या
किन्हीं घिसे सिक्कों पर
महात्माओं या देवी देवताओं के चेहरे

तब उठते हैं सवाल मन में लाखों
झंझोड़ कर रख देते हैं मन को

कि जब घिस गये महापुरुष और सिक्के
और धुंधले पड़ गये महात्मा
ज़रूरत पूरा करते - करते
इस दुनियादारी की

तो क्या औकात हैं "उज्ज्वल "तेरी
जो तू कर पायें जरूरतें पूरी
किसी की इस दुनियादारी में

संजय किरमारा "उज्ज्वल "