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चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
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1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
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अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
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हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
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याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
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वो सात दिन किसी कोने में है मेथ मेजिक तो किसी कोने में है लुकिंग अराउंड क्या उत्सव है आवडी में आज हर कोने से आ रहा है अजीब साउंड कुछ को...
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हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
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लेडी फिंगर
एक अध्यापक के मन में
एक दिन हरी सब्जी
खाने का ख्याल आया
तो उसने कक्षा में से
एक कमजोर से बच्चे को बुलाया
हुआ कुछ यूँ
अध्यापक बेचारा
इंग्लिश मीडियम ही पढ़ा था
उस पर तो सिर्फ
अँग्रेजी का भूत चढ़ा था
बच्चा बेचारा
कोई गाँव से पढ़ने आता था
इसलिये ही शायद वो
अँग्रेजी नही समझ पाता था
उसने जेब से पचास का
एक नोट निकाला और
बच्चे को लेडी फिंगर लेने
बाजार भेज डाला
बच्चा इंग्लिश समझ न पाया
कोशिश की तो
समझ में लेडी फिंगर का अर्थ
महिला की उँगली आया
नादान था बच्चा बेचारा
उसने जाते ही सब्जी बेचने वाली को
पचास का नोट पकड़ा दिया
और अध्यापक बुला रहे है उसे
ये संदेश सब्जी वाली को बता दिया
होना क्या था फ़िर दोस्तों
उँगली पकड़ सब्जी वाली को
स्कूल ले आया
और उस औरत और उसके पति से
अध्यापक को खूब पिटवाया
अब समझ आया संजू कि
आधुनिकीकरण के चक्कर में
हम किस तरह खोते जा रहे है
और भिंडी की जगह
सब्जी वाली के हाथो
पिटते ही जा रहे है
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