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चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
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1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
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लेडी फिंगर एक अध्यापक के मन में एक दिन हरी सब्जी खाने का ख्याल आया तो उसने कक्षा में से एक कमजोर से बच्चे को बुलाया हुआ कुछ यूँ अध्य...
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हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
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याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
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अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
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हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
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उस पल का इंतजार है आजकल जो कुछ चल रहा है उसमे देखने में आता है कि आप किसी को कंकड़ मारो तो बदले में आपको सौ प्रतिशत प्रतुत्तर में पत्थर मिल...
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Wednesday, February 7, 2018
मैं नही लिखता आजकल मेरी तन्हाई लिखती है
उसकी यादों के किस्से उसकी बेवफाई लिखती है
सोचता हूँ कड़वी घूँट पी जाऊँ उसकी यादों की
पर क्या करूँ यादों को उसकी रुसवाई लिखती है
कैसे कह दूँ हुआ हमारा कत्ल ए आम मुहब्बत में
मुहब्बत की हर बात प्यार में हुई लड़ाई लिखती है
अब भूल तो जाऊँ रोकर काटी उन तन्हा रातों को
उसकी खूबियाँ शाम उसके साथ बिताई लिखती है
ठान लेता न जाने कितनी बार उसको भूलने की
पर ये सब उसे न भूलने की कसमें खाई लिखती है
कई बार करता है मन तोड़ दूँ इस कलम को अब
कलम का क्या ?ये तो दिल में बात आई लिखती है
न जाने कितनी बार कोशिश की उससे दूर जाने की
पर उसकी हर दास्ताँ उसकी हुई विदाई लिखती है
संजय किरमारा ' उज्जवल '
6/2/18
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