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Wednesday, February 7, 2018

मैं  नही  लिखता  आजकल  मेरी  तन्हाई लिखती है
उसकी यादों  के  किस्से उसकी  बेवफाई लिखती है

सोचता हूँ  कड़वी  घूँट  पी  जाऊँ  उसकी यादों  की
पर क्या करूँ यादों  को  उसकी  रुसवाई लिखती है

कैसे कह दूँ  हुआ  हमारा कत्ल  ए आम मुहब्बत  में
मुहब्बत की हर बात प्यार में हुई  लड़ाई लिखती  है

अब भूल तो जाऊँ रोकर  काटी उन  तन्हा रातों  को
उसकी खूबियाँ शाम उसके  साथ बिताई लिखती है

ठान लेता न  जाने  कितनी  बार  उसको भूलने  की
पर ये सब उसे न भूलने की  कसमें  खाई लिखती है

कई बार करता है  मन तोड़  दूँ  इस  कलम को अब
कलम का क्या ?ये तो दिल में  बात आई लिखती है

न जाने कितनी बार कोशिश की उससे दूर जाने की
पर उसकी हर दास्ताँ  उसकी  हुई विदाई लिखती है

संजय किरमारा ' उज्जवल '
6/2/18

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