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Wednesday, February 7, 2018

एक नये ठिकाने की ओर
उड़ ले पंछी अब तू
जितना नसीब था तेरा यहाँ
जितना वक्त था तेरा यहाँ
सब हुआ वो पूरा
रह गया हो चाहे
कोई काम तेरा अधूरा
तलाश कोई नया पेड़ अब तू
तलाश अब नया पेड़  अब तू

इस बगीचे में तो
कोई आकर बसेगा
सुनकर बाते तेरी कोई
तुझ पर खूब हँसेगा
पर क्या है उससे
फितरत है दुनियाँ की ये
जो गुण गाती है बस पास ही
पीछे से तोड़ती है ये विश्वास ही

पर घबराना मत तू कभी
तूने जो छोड़े है यहाँ निशाँ
वक्त लगेगा लोगों को
उनको बिल्कुल मिटाने में
जो मेहनत की थी तूने
उन निशानों को बनाने में

भूल जाना तू भी
इसको दूसरो की तरह
नये ठिकाने पर लग जाना
नए निशाने बनाने को
क्योंकि लोगों को जरूरत पड़ेगी
नए निशानों को मिटाने की
और कोई तो चीज रहनी चाहिये
तेरे जाने बाद मिटाने की

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