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चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
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1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
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लेडी फिंगर एक अध्यापक के मन में एक दिन हरी सब्जी खाने का ख्याल आया तो उसने कक्षा में से एक कमजोर से बच्चे को बुलाया हुआ कुछ यूँ अध्य...
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हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
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याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
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अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
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हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
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उस पल का इंतजार है आजकल जो कुछ चल रहा है उसमे देखने में आता है कि आप किसी को कंकड़ मारो तो बदले में आपको सौ प्रतिशत प्रतुत्तर में पत्थर मिल...
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Saturday, March 19, 2016
गुमनाम चेहरा
गुमनाम सा चेहरा हूँ अभी तक यहाँ
तभी तो किसी को भी मैं न दिखता हूँ
नादां सा हूँ इस दुनियाँ में अभी तक
तभी तो किसी के सामने न टिकता हूँ
सीखा इस दुनियादारी से बहुत कुछ
तभी सिर्फ कड़वी बातें ही लिखता हूँ
नही दिखी रचनाओं में गहराई कभी
तभी तो सदा अधमोल ही बिकता हूँ
नही दिखा पाता हूँ आँखों के आँसू
तभी तो बस शब्दों से मैं बिलखता हूँ
एक तू ही तो है इस भटके का सहारा
तभी तो सिर्फ तेरी और ही खिंचता हूँ
तू ही है "उज्ज्वल " सब कुछ मेरा
तभी तो सिर्फ तेरे लिये ही लिखता हूँ
संजू किरमारा "उज्ज्वल "
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