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चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
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लेडी फिंगर एक अध्यापक के मन में एक दिन हरी सब्जी खाने का ख्याल आया तो उसने कक्षा में से एक कमजोर से बच्चे को बुलाया हुआ कुछ यूँ अध्य...
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हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
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याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
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अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
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हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
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उस पल का इंतजार है आजकल जो कुछ चल रहा है उसमे देखने में आता है कि आप किसी को कंकड़ मारो तो बदले में आपको सौ प्रतिशत प्रतुत्तर में पत्थर मिल...
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Tuesday, January 26, 2016
जालिम है ये जमाना
कर देते है दिल बेगाना पर
वतन से सुंदर कोई सनम नही
काम आये खून हमारा वतन पर,
इससे बढ़कर कोई मानव जन्म नही
अर्पित कर दो जान वतन वास्ते
इससे बढ़कर कोई सेवा नही
देखे है लोग इस ज़माने में
मरते पैसों से लिपटकर
लोगों की आँखो में
कभी दिखे नही
त्याग दो दोस्तों तुम
अब मोहब्बत कागजी
छोड़ दो तुम सब अफ़साने
कर देते है जो अपनो से बेगाने
छोड़कर अब ये दुनियाँ दिखावटी
करो मिलकर सब कोई जतन सही
बिखरी है खूबसूरती दुनियाँ में बहुत
मगर तिरंगे से बढ़कर न मिलेगा
कोई इससे सुंदर कफ़न कहीँ
देशभक्ति के रास्ते पर तुम
अपने क़दम बढ़ाओ
एक बार ही सही
संजय किरमारा
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