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Friday, December 4, 2015

चारों   और  पानी  ही पानी
चारों  और  हानि   ही हानि
चारों और अँधेरा ही अँधेरा
हो जाये  अब जल्दी सवेरा
चारों और  फैला  हाहाकार
राहत  उपायों   का इंतजार
मदद को  हर  कोई   तैयार
पर बाधा है मौसम की मार

आशा है  दिल   के कोने में
गंवाना नही हैं आँसु रोने में
कुछ  ही पल बाकी हैं  अब
ये मुशीबतो    कम  होने में
बहुत जल्द होगा यहाँ सवेरा
बीत  जायेंगी ये  अँधेरी रातें
फ़िर खिलखिलायेगी चेन्नई
फ़िर होगी  मस्ती  की  बातें
सब कुछ हो जायेगा सामान्य
सुधर  जायेंगी  सब हालात-ए

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