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चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
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1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
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अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
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हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
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याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
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वो सात दिन किसी कोने में है मेथ मेजिक तो किसी कोने में है लुकिंग अराउंड क्या उत्सव है आवडी में आज हर कोने से आ रहा है अजीब साउंड कुछ को...
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हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
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तब और अब
उसे पसंद था अकेलापन सदा
पर दोस्तों ने कभी अकेला न छोड़ा
आज चाहता है वो साथ सबका
पर हर कोई न जाने क्यों
अकेला ही छोड़ता जा रहा है
रहता था सारा दिन वो उछलता
पर मन उसका रहता था शांत
पर आज जब वो चाहता है शांति
तो न जाने क्यों ये मन उसका
किसी न किसी उधेड़बुन में रहता है
नही पसंद थी उसे घर की चाय
चाहा उसने सदा काफ़ी पीना
किसी बड़े से रेस्टोरेंट में
पर आज उसे याद आती है
वो चाय अकेले बैठे- बैठे
जब काफ़ी पी रहा है रेस्टोरेंट में
तब जल्दी रहती थी उसे
अपने ही दोस्तों को पछाड़कर
सबसे आगे निकलने की
पर आज जब वह निकल चुका है
सबको पीछे छोड़कर तो
याद आ रहे है वो पुराने दोस्त
तब आती थी नींद खराटेदार
पर मन नही करता था सोने को
पर आज जब करता है मन सोने को
तो न जाने ये नींद कहाँ चली गयी
इन कागज के टुकडों की चिंता
उसकी वो नींद छीन ले गयी
"संजू "छोड़ना चाहता था बचपना
तलाश रहती थी कामयाबी की
पर आज जब मिल गयी है कामयाबी
तो मन रहता है उसका बेचैन
उसी पुराने बचपने को पाने को
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