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Thursday, September 24, 2015

लो जी हमारा भी एक साल पूरा के वी में

न जाने कितनों ने  सताया ,
न जाने कितनों ने रखा ख्याल ,
कभी खुश हुए,कभी मायूस ,
और कट गया एक साल !

अगस्त में खुशी आई ,
खूब बंटीं घर मिठाई ,
आखिर एक दिन आँखे भर आई ,
होने वाले थी घर सर जुदाई ,
जो रहे थे अगस्त से टाल !
कभी खुश हुए .............

बनी टिकट तेइस की ,
और छोड़ दिया घर ,
आये दोस्त दिल्ली तक ,
और चले गये विदा  कर ,
लड़ना था अब बिन ढाल !
कभी खुश हुए ............

पहुँचा दिया फ्लाइट ने ,
दो घंटे में कोईम्बटूर ,
जल्दी थी पहुँचने की ,
और आना था सूलूर ,
कटना था यही भविष्य  काल !
कभी खुश हुए ............

ज्वाइन करते ही यहाँ ,
सपना साकार हो गया ,
छोड़ दिया जब अपनो को ,
तो ये ही घर बार हो गया ,
जिसमे चलना था अपनी चाल !
कभी खुश हुए ............

शुरू मे तो कुछ भी ,
नही मुझे भाता था ,
सुबह से शाम हरपल ,
बस घर ही याद आता था ,
हो गई थी जिंदगी बेहाल !
कभी खुश हुए .........

धीरे धीरे सब पुरानी ,
बातों को भूलने लगा ,
मिल गये दोस्त नए और
दिल अब खुलने लगा ,
पूछने लगे अब सब हालचाल !
कभी खुश हुए...........

कभी ट्रेनिंग आ जाती थी ,
तो कभी आ जाती छुट्टियाँ ,
चिंता रहित हो जाता मन ,
और खूब होती मस्तियां ,
मिले दोस्त इतने, हो गये मालामाल !
कभी खुश हुए ..........

फ़िर तो इसी तरह दिन ,
जैसे तैसे कटने लगे ,
पूरे  हो रहे थे सपने ,
पर अपनो से दूर हटने लगे ,
चली जिंदगी कच्छुआ चाल !
कभी खुश हुए ..........

समझा लिया है मन को अब ,
सफर है ये काटना पड़ेगा ,
है जो दुःख,दर्द या खुशी ,
सबकुछ यही बाँटना पड़ेगा ,
काट ले संजू कुछ और साल ,
कभी खुश हुए,कभी मायूस ,
और कट गया एक साल !

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