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चाहता था रहना तन्हा मैं, इसीलिये तो जाके दूर सोया था नही पसंद थी भीड़ दुनियादारी की, मैं अपनी ही दुनिया मे खोया था कोई करें समय खराब ...
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1. पानी सा निर्मल है वो और पर्वत सा कठोर करता सारा दिन काम नही करता कोई शोर खुद के सपने छोड़कर धूप आँधी में दौड़कर हमे ...
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लेडी फिंगर एक अध्यापक के मन में एक दिन हरी सब्जी खाने का ख्याल आया तो उसने कक्षा में से एक कमजोर से बच्चे को बुलाया हुआ कुछ यूँ अध्य...
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हर रोज़ दुनियाँ बदलने की सोच लेता हूँ मैं पर अब तक क्यों खुद को न बदल पाया हूँ बन चुका हूँ कितना नादां मैं ,किसको बदलू रोशनी है दु...
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याद आता है समय अब वो जब बिन दोस्त शाम नही कटती थी था छोटा सा मैं पर दुनियॉ मुझसे भी छोटी लगती थी वो स्कूल का मस्ती भरा रस्ता, था कच्चा...
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अब तो बता दे जिंदगी __________________ बता दें जिंदगी तू, कितना और मुझे भटकाएगी सताया है तूने खूब कितना और अब सताएगी कितने तूने खेल...
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हिन्द देश है तन हमारा हिन्दी हमारी जान है इसी से धड़कता है ये दिल इसी से हमारा मान है ! रखती है हमें बांधकर एक सुगंधित माला में सीखते ...
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उस पल का इंतजार है आजकल जो कुछ चल रहा है उसमे देखने में आता है कि आप किसी को कंकड़ मारो तो बदले में आपको सौ प्रतिशत प्रतुत्तर में पत्थर मिल...
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Saturday, September 12, 2015
सीख लो दोस्तों मिलकर रहना,
है अनजान परदेश ये,
आज नही तो कल यहां से चले जाना है !
ख़ुदगर्ज है ज़माना ये,
यहां कैसे कैसे लोग आते है !
बताकर खुद को सूरज वो,
बादलों के पीछे छुप जाते है !
था हँसना साथ सबके पर
सीख लिया क्यों अकेले आँसू बहाना है !
है अनजान परदेश ये . . . . . .
सुनो ए भले इंसानों,
कभी इंसानियत का भी ख्याल करो !
आये हो बड़ी दूर से,
यहां सबका मान सम्मान करो !
क्यों सीख लिया है तुमने
निशाना किसी एक को बनाना है
है अनजान परदेश ये . . . . .
नही है घर यहां तुम्हारा,
है छोटा सा घर तुम्हे यहां सजाना !
सब है अपने ही यहां,
छोड़ दो तुम समझना सबको यहां बेगाना !
" संजू " क्यों सीख लिया है तुमने
किसी और का मजाक बनाना है
है अनजान परदेश ये,
आज नही तो कल यहां से चले जाना है!
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