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Monday, August 10, 2015

पुराने दोस्तो की याद मे और जीवन की व्यस्तता के बीच यार अनमुल्लो के लिये छोटा सा प्रयास 🙏🙏🙏

थक चुके  है अकेले बैठकर
क्यों न आज  पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं;

दिखता नही है कोई आजकल
देखते हैं उनके पँख थक चुके है,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं;

रहते है परेशान हम,उनको देखते है
हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं;

उलझन भरी जिंदगी मे वो
बता देतें हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सक्सेस स्टोरी सुनाते हैं;

भूल गये है हमे या
हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपन से मुस्कुराते हैं;

बैठते है वो चैन से साथ हमारे
या घड़ी की और देखकर,
हमें जाने का वक़्त बताते हैं ।

बन गये  है स्वार्थी है अकेले
रह - रहकर " संजू " क्यों न
आज फ़िर कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं...

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